इश्क हैं…!!!

हसीं का अंदाज़े बयाँ तो ठीक हैं पर;
तेरे यूँ नज़रें ज़ुकाने में भी इश्क हैं,

रोज़मर्रा का सुलूक तो ठीक हैं पर;
तेरे यूँ मुँह बनाने में भी इश्क हैं,

बतियाने का सलीका तो ठीक हैं पर;
तेरी इन ख़ामोशियों में भी इश्क हैं,

नजरों का यूँ मिलना तो ठीक हैं पर;
तेरी इन नज़रअंदाजी में भी इश्क हैं,

तेरे दर्द को यूँ दूर बैठे महेसुस कर;
हर-रोज़ तुजे याद करने में भी इश्क हैं.

सितम्बर २०१७मे रिलीज हुई हिंदी फिल्म ‘न्यूटन’ के कई चोटदार संवादोंमेसे एक…!!!

चुनाव अधिकारी :- तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है न्यूटन मालुम है ?

न्यूटन :- मेरी इमानदारी…!!!

चुनाव अधिकारी :- ना…. इमानदारी का घमंड…!!!, न्यूटनजी आप कोई एहसान नहीं कर रहे है… समाज पर या देश पर… इमानदार हो कर…!!! ये एक्सपेक्टेड है आपसे…!!! और इमानदारी से दिल हल्का होता है, दिल पर बोज नहीं होता….!!! तो आप नेचरल तरीके से अपनी इमानदारी से काम करते जाइए करते जाइए… देश प्रगति खुदमाँ खुद करता चला जायेगा…!!!

पूरानी यादें… बार बार…!!!

चलो एक बार फिरसे खो जाएँ,
उन हसीन यादों के खजाने मे;

जहाँ है सुकून और जझ्बात कई,
कुछ देर उनमें बह जाएँ कहीं ;

सोचें ना बस महसूस करें उसे,
जो था सिर्फ तभी के लीए;

चलो फीरसे जीऐ आज में;
छिप जाएँ बनीये के भेस में,

– मिहिर